Lesson :12 Siddhartha – Inspiring Journey of Gautam Buddha Class : 5

सिद्धार्थ – गौतम बुद्ध का प्रेरणादायक जीवन परिचय

सिद्धार्थ का जन्म लुम्बिनी में शुद्धोधन और मायादेवी के घर हुआ।
वे बचपन से ही दयालु और करुणाशील थे।
भ्रमण के समय वृद्ध, मृत, रोगी और संन्यासी को देखकर उनके मन में वैराग्य जागा।
कठोर तपस्या से उन्होंने बुद्धत्व प्राप्त किया और अहिंसा व करुणा का संदेश दिया।

अस्माकं देशे बहवः महापुरुषाः अभवन्। (asmākaṃ deśe bahavaḥ mahāpuruṣāḥ abhavan) हमारे देश में बहुत से महापुरुष हुए।
तेषु महापुरुषेषुः गौतमबुद्धः प्रमुखः अस्ति। (teṣu mahāpuruṣuḥ gautamabuddhaḥ pramukhaḥ asti) उन महापुरुषों में गौतम बुद्ध प्रमुख हैं।
अस्य जन्म 563 ईसवीय-वर्षात् प्राक् कपिलवस्तूनगरस्य लुम्बिनी-नामके स्थाने अभवत्। (asya janma 563 īsavīya-varṣāt prāk kapilavastūnagarasya lumbinī-nāmake sthāne abhavat) इनका जन्म ईसापूर्व 563 वर्ष में कपिलवस्तु नगरी के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ।
अस्य पितुः नाम शुद्धोधनः मातुः च नाम मायादेवी आसीत। (asya pituḥ nāma śuddhodhanaḥ, mātuḥ ca nāma māyādevī āsīt) उनके पिता का नाम शुद्धोधन था और माता का नाम मायादेवी था।
बाल्यकाले अस्य नाम सिद्धार्थः आसीत। (bālyakāle asya nāma siddhārthaḥ āsīt) बचपन में इनका नाम सिद्धार्थ था।
सः बाल्यकालाद् एव अतिदयालु आसीत्। (saḥ bālyakālād eva atidayālu āsīt) वह बचपन से ही बहुत दयालु थे।
div class=”cw-card”> तस्य मनः क्रीडायाम् आखेटे च न अरमत्। (tasya manaḥ krīḍāyām ākheṭe ca na aramat) उनका मन न तो खेलों में और न ही आखेट (शिकार) में रम पाया।
एकदा सिद्धार्थः भ्रमणाय नगरात् बहिः आगच्छत्। (ekadā siddhārthaḥ bhramaṇāya nagarāt bahiḥ āgacchat) एक बार सिद्धार्थ भ्रमण के लिए नगर के बाहर गए।
तत्र सः कृमेण एकं वृद्धः, एकं मृतं, एकं रोगार्तम्, एकं संन्यासिनं पुरुषं च अपश्यत्। (tataḥ saḥ kiñcit vṛddhaḥ, mṛtaḥ, rogātmā, saṃnyāsī ca apaśyat) वहाँ उसने क्रम से एक वृद्ध, एक मृतक, एक रोगी और एक संन्यासी पुरुष को देखा।”
एतान् दृष्ट्वा तस्य मनसि वैराग्यम् अजायत। (etān dṛṣṭvā tasya manasi vairāgyam ajāyata) इन्हें देखकर उसके मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ।
सः स्वधर्मपालनम्, राज्यं च त्यक्ता गृहात् निर्गतः। (saḥ svadharmapālanam, rājyaṃ ca tyaktā gṛhāt nirgataḥ) उन्होंने अपना राज्य त्याग कर गृह त्याग कर दिया और धर्म की रक्षा की।
सः कठोरं तपः अकुर्वत। तपसि प्रभावात् सः बुद्धः अभवत। (saḥ kaṭhoraṃ tapaḥ akurvata. tapasi prabhāvāt saḥ buddhaḥ abhavat) उन्होंने कठोर तप किया; तप के प्रभाव से वह बुद्ध हुए।
अहिंसापालनम् तस्य प्रमुखा शिक्षा आसीत। जनानां कल्याणाय सः बौद्धधर्मस्य प्रचारम् अकरोत्। (ahiṃsā-pālanam tasya pramukhā śikṣā āsīt. janānāṃ kalyāṇāya saḥ bauddha-dharmasya pracāram akarot) अहिंसा का पालन उनकी प्रमुख शिक्षा थी और उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए बौद्धधर्म का प्रचार किया।
Teaching Method (कैसे पढ़ाएँ)

शिक्षक पहले बच्चों को गौतम बुद्ध की तस्वीर दिखाकर उनसे प्रश्न पूछें।

पाठ को कहानी की तरह सुनाएँ ताकि बच्चों में जिज्ञासा बनी रहे।

मुख्य शब्दों को बोर्ड पर लिखकर उनके अर्थ समझाएँ।

बच्चों से छोटे-छोटे प्रश्न पूछकर उन्हें चर्चा में शामिल करें।

अंत में जीवन से जुड़ी सीख पर विचार-विमर्श करवाएँ।

Learning Outcomes
  • विद्यार्थी गौतम बुद्ध के जीवन और सिद्धांतों को समझेंगे।
  • वे करुणा, अहिंसा और वैराग्य का महत्व जानेंगे।
  • संस्कृत शब्दों और उनके हिंदी अर्थ को पहचानेंगे।
  • पाठ का सारांश और प्रश्न-उत्तर प्रस्तुत करना सीखेंगे।
  • जीवन से जुड़ी नैतिक शिक्षा को अपने व्यवहार में अपनाएँगे।

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