वन्दे सदा स्वदेशम्।
मैं अपने देश को सदा प्रणाम करता हूँ।
मैं अपने देश का सदा सम्मान और आदर करता/करती हूँ। ‘वन्दे’ का अर्थ है नमन या श्रद्धा से प्रणाम।
एतादृशं स्वदेशम्।।
ऐसा ही महान मेरा देश है।
यह (मेरा) ऐसा ही देश है — अर्थात जो सुंदर, पवित्र और गौरवपूर्ण है। यहाँ देश की विशेषता पर ज़ोर दिया गया है।
गंगा पुनाति भालम्।
गंगा नदी देश के मस्तक को पवित्र करती है।
गंगा नदी (हृदय-स्थल/देश की) पवित्रता लाती/प्रवाहित करती है — यहाँ गंगा की पवित्रता और शुद्धि को बताया गया है जो देश को पवित्र बनाती है।
रेवा कटिप्रदेशम्।।
नर्मदा (रेवा) नदी देश के मध्य भाग को सुशोभित करती है।
रेवा (एक नदी का नाम — यहाँ संभवतः रीवा/भीष्म) कटि-प्रदेश अर्थात कमर या मध्य प्रदेश से बहती हुई का संकेत है — देश के विभिन्न भागों और भू-भागों का उल्लेख।
वन्दे सदा स्वदेशम्।
मैं अपने देश को सदा प्रणाम करता हूँ।
पुनः कहा जा रहा है — मैं सदा अपने देश का आदर करता/करती हूँ; यह विचार दोहराया गया है ताकि भावना गहन बने।
एतादृशं स्वदेशम्।।
ऐसा ही महान मेरा देश है।
यह पुनरुक्ति है: यह (देश) इसी प्रकार का महान और पवित्र देश है — गुणों का पुनः स्मरण।
वन्दे ध्वजं त्रिवर्णम्।
मैं अपने तिरंगे ध्वज को प्रणाम करता हूँ।
मैं उस तिरंगे (त्रिवर्ण) ध्वज का भी नमन करता/करती हूँ — यहाँ राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान और प्रेम व्यक्त किया गया है।
वन्दे स्वतन्त्रदेशम्।।
अपने स्वतंत्र देश को नमन करता हूँ।
मैं स्वतंत्र देश का नमन करता/करती हूँ — स्वतंत्रता और स्वातंत्र्य की भावनाओं का आदर।
वन्दे सदा स्वदेशम्।
मैं अपने देश को सदा प्रणाम करता हूँ।
(दोहराव) सदा अपने देश का आदर करना चाहिए — यह मानसिकताएँ और भावनाएँ मजबूत करने के लिए दुहराया गया है।
एतादृशं स्वदेशम्।।
ऐसा ही महान मेरा देश है।
(समापन) यह वही देश है जिसकी महिमा, पवित्रता और स्वतंत्रता का हमें सतत् स्मरण रखना है।